सिरिंज एक उपकरण है जिसका उपयोग दवा या तरल पदार्थ को शरीर में डालने या निकालने के लिए किया जाता है। यह पिस्टन और बैरल से मिलकर बनी होती है। जब पिस्टन को पीछे खींचा जाता है, तो बैरल के अंदर का दबाव कम हो जाता है, जिससे दवा या रक्त सुई के माध्यम से अंदर आ जाता है। पिस्टन को आगे धकेलने पर तरल बाहर निकलता है। इस प्रकार सिरिंज का उपयोग इंजेक्शन देने, रक्त लेने या दवा की मात्रा मापने के लिए किया जाता है।
खाली सिरिंज में हवा का प्रभाव
खाली सिरिंज में कोई दवा नहीं होती, बल्कि उसमें हवा होती है। यदि यह हवा 0.1 से 0.2 मिलीलीटर की मात्रा में शरीर में जाती है, तो आमतौर पर इससे कोई नुकसान नहीं होता। यह हवा शरीर में घुलकर फेफड़ों के माध्यम से बाहर निकल जाती है। लेकिन यदि हवा की मात्रा 1 से 2 मिलीलीटर या उससे अधिक हो और यह सीधे नस या धमनी में चली जाए, तो यह गंभीर खतरा उत्पन्न कर सकती है, जिसे एयर एम्बोलिज़्म कहा जाता है।
एयर एम्बोलिज़्म की गंभीरता
एयर एम्बोलिज़्म एक गंभीर स्थिति है, जिसमें हवा के बुलबुले रक्त वाहिकाओं में चले जाते हैं और रक्त प्रवाह को रोक देते हैं। यदि यह हवा हृदय तक पहुँचती है, तो इससे छाती में दर्द, तेज धड़कन, रक्तचाप में कमी या हृदय रुकने जैसी समस्याएँ हो सकती हैं। दिमाग में पहुँचने पर यह स्ट्रोक, चक्कर, बेहोशी या चेतना का नुकसान कर सकती है।
एयर एम्बोलिज़्म के लक्षण
एयर एम्बोलिज़्म के लक्षणों में सीने में तेज दर्द, सांस लेने में कठिनाई, चक्कर आना या बेहोशी शामिल हो सकते हैं। इसके अलावा, दिल की धड़कन तेज हो सकती है और शरीर में मरोड़ जैसा दर्द भी महसूस हो सकता है। ये लक्षण तुरंत ध्यान देने की आवश्यकता वाले होते हैं।
जान का खतरा
डॉक्टरों के अनुसार, यदि 2 से 3 मिलीलीटर हवा गलती से धमनी में चली जाए, तो यह गंभीर नुकसान कर सकती है। 50 से 100 मिलीलीटर हवा नसों के जरिए शरीर में जाने पर यह घातक साबित हो सकती है। इसलिए, खाली सिरिंज का इंजेक्शन लगाना अत्यंत खतरनाक हो सकता है।
क्या खाली सिरिंज हमेशा खतरनाक होती है?
खाली सिरिंज हमेशा खतरनाक नहीं होती। यदि इसे मांसपेशी में लगाया जाए, तो थोड़ी सी हवा आमतौर पर नुकसान नहीं पहुँचाती। लेकिन यदि यह नस या धमनी में लगाई जाए, तो खतरा बढ़ सकता है। इसलिए, डॉक्टर और नर्स हमेशा सिरिंज में से हवा निकालकर ही इंजेक्शन लगाते हैं।
इंजेक्शन स्थलों पर प्रभाव
यदि हवा मांसपेशी या त्वचा के नीचे चली जाए, तो इससे सबक्यूटेनियस एंफाइज़िमा हो सकती है। इसमें सूजन और दर्द हो सकता है, लेकिन यह आमतौर पर गंभीर नहीं होता।
जानबूझकर सिरिंज लगाना एक अपराध
यदि कोई व्यक्ति जानबूझकर किसी को खाली सिरिंज से इंजेक्शन लगाता है और उसकी जान को खतरा पहुँचाता है, तो यह भारतीय कानून के तहत गंभीर अपराध माना जाता है। ऐसे मामलों में हत्या के प्रयास या जानबूझकर गंभीर चोट पहुँचाने का मामला बन सकता है।
सावधानियाँ और रोकथाम
कभी भी बिना प्रशिक्षित हुए किसी को सिरिंज न लगाएँ। इंजेक्शन लगवाते समय सुनिश्चित करें कि नर्स या डॉक्टर सिरिंज से हवा निकालकर ही इंजेक्शन लगाएँ। घरेलू उपचार या आत्म-इंजेक्शन से बचें। यदि सुई लगने के बाद चक्कर, सांस लेने में दिक्कत या सीने में दर्द महसूस हो, तो तुरंत अस्पताल जाएँ।
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